इक्कीसवीं सदी में प्रवेश करने के साथ ही भारत जनसंख्या की दृष्टि से प्रथम स्थान प्राप्त कर चुका है । ऐसे में सभी का सामवेद पोषण केवल सरकार का दायित्व नहीं है । हम सभी अपने-अपने स्तर से जनकल्याण एवं राष्ट्र निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें संसाधनों एवं स्रोतों का समय अनुकूल प्रयोग करते हुए प्राथमिकता के आधार पर कार्यों का चयन करें एवं संपूर्ण ऊर्जा के साथ उन्हें संपादित करे । विविध संस्कृतियों को समेटे हुए राष्ट्र का विस्तृत भूभाग अनेकता में एकता का जो तक है राजयोग फाउंडेशन इसी एकता को मजबूत करने के लिए अपने समस्त संसाधनों के साथ सामूहिक प्रयत्न करता I एक भारत सशक्त भारत के मूल मंत्र को आत्मसात करते हुए फाउंडेशन समय पर विभिन्न आयोजनों द्वारा इसी परिकल्पना को सार्थक करने की प्रयास में निरंतर संलग्न है । सर्वधर्म समभाव के आधार पर भारतीय संस्कृति पुष्पित एवं पल्लवित हो जहां जन जन आध्यात्मिक जागरण हो शांति एवं स्थिरता का प्रसार हो एवं भारत राष्ट्र संपूर्ण विश्व का पथ प्रदर्शक बनी इन्हीं परिकल्पनाओं को अमली जामा पहनाने के लिए फाउंडेशन सतत प्रयत्नशील है ।